Skip to main content

रोबोट बनाम भारत

आज सांइस का जमाना है सांइस ने काफी तरक्की की है , तरक्की होती है बड़े काम की यदि इसका सही दिशा में उपयोग किया जाये। यदि सांइस के साथ खिलवाड़ किया जाये या गलत इस्तेमाल किया जाये तो खतरनाक परिणाम भोगने पड़ते हैं। भारत भी उनमें से एक देश है जिसने सांइस के लाभ पूरी तरह व सही तरीके से न लेकर नुकसान ज्यादा उठाया है। नब्बे के दशक में जब कम्पूटरिकरण का कार्य अपने बचपन में था तो सरकार ने गलत आंकलन कर, देश में बेरोजगारी को बढ़ावा दे दिया। लाखों वकेंसी खत्म कर दी।करीब दस आदमी की जगह केवल एक आदमी की वकेंसी रखी । बाकि की जगह कम्पूटर ने ले ली । भारत सरकार को आज तक पता नहीं है कि कम्पूटर चलाने में ,बनाने में, व रखरखाव करने में मनुष्य की जरूरत होती है। JOCKEY [CPS] IN बस देखा कम्पूटर और नौकरी समाप्त कर दी। यह समस्या उस समय भी आई थी । एक की जगह दो वकेंसी कर ,राम राम सत कर दी। जिसका दंड भारत के लोग बेरोजगारी के बढ़ते ग्राफ को और बढ़ाते गये। फिर भारत सरकार जनसंख्या बढाओं कानून की तरह विज्ञापित कर ,लड़कियों के नाम पर बेहताशा जनसंख्या वृद्धी लेकर आई। भारत की जनसंख्या को शेयर बाजार की तर्ज पर, बुलिस बाजार बना दिया। जहां हर रोज लाखों लोगों को बेवकूफ बनाकर नेताओं व उनके दलालों द्वारा लाखों रूपये लेकर भी नौकरी नहीं मिलती है, रूपये वापिस कहां देने थे । इसमें रूपये देने वालों की हत्या करवाने का धंधा भी करने लगे हैं लोग।पता नहीं क्यों भारत में ही ऐसे बवकूफ लोग क्यों पैदा होते है जो लाखो रूपये देकर नौकरी क्या करेगे , वे सब तो सरकारी कर्मचारी बन कर डाका डालेगें। क्योंकि बिना डाका डाले तो रिश्वत में दिये रूपये पूरे नरीं हो सकते , किसी भी जन्म में . AliExpress WW यदि रोबोट ने मनुष्य की जगह ले ली तो भारत में नब्बे से निनानवे प्रतिशत बेरोजगारी फैल जायेगी। भारत में यह 80 प्रतिशत सच्च हो सकता है क्योकि भारत जैसे निक्कमें लोग दुनियां के किसी भी देश में नहीं मिलेगें। यह आंकङा भारत में सरकारी नौकरी करने वालों के विचारों का है, वे कहते है एक बार सरकारी नौकरी लगी तो काम करने की जरूरत नहीं तनखाह तो मिल ही जायेगी। रोबोट इसी हकीकत की देन है । देखते है इसमें जीत रोबोट की होती है या मनुष्य की । करोना ने रोबोट का आगाज मनुष्य की जगह करवाना शुरू कर दिया है कहां तक ये सिढ़िया चढ़ता है । Times Prime [CPA] IN

Comments

Popular posts from this blog

ईवीएम का विकल्प हमारे पास मौजूद है केवल उपयोग करना आना चाहिए।

 चुनाव घोषणा हो ते ही चाहे अगले दिन बिना देश का एक पैसा खर्च किए चुनाव कराए जा सकते हैं बिना किसी दुःख व दुविधा के। जैसे ही पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन कर लें तभी चुनाव घोषित किए जाने चाहिए। केवल जितनी पार्टी है उतने ही मास्टर कम्प्यूटर चाहिए,हर एक पार्टी को चुनाव आयोग के साथ में ताकि चुनाव आयोग गड़बड़ी न कर सके। मोबाइल फोन से वोटर को आधार कार्ड से के नं से वोटिंग करवा लें। केवल एक दिन ही सबको शिक्षित किया जा सकता है इस बारे में। सारी पार्टीयों को अपने दफ्तर के कम्प्यूटर पर उसी दिन बिना गिनती किये पता चल जाएगा कि कितने वोट किस पार्टी को मिले हैं। चुनाव आयोग का कार्य केवल उन सभी के कम्प्यूटर के डाटा को इकट्ठा करना पड़ेगा यह बताने को कि कितने प्रतिशत मतदान हुआ है। बाकी काम पार्टी के कम्प्यूटर कर लेंगे। फूटी कोड़ी तक सरकार की नहीं होगी। चाहे तो कार्य काल समाप्त होने से पहले ही चुनाव सम्पन्न बिना किसी सुरक्षा बल के किया जा सकता है। किसी अधिकारी व कर्मचारी को कोटा पैसा तक सरकार को नहीं देना पड़ेगा टी ए, डी ए के रूप में।  बस बेइमानों को दुःख होगा कि वे धांधली व बेईमानी न कर सके। ...

भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक ने 200 ,500 रुपए बंद करो।

 भारतीय रिजर्व बैंक व भारत सरकार ने 200और 500 रुपयों के नोटों को प्रचलन से व सरकारी करंसी से पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए। ये नोट केवल लोगों की समस्याओं को बढ़ावा देने के सिवाय कुछ भी कार्य के नहीं हैं। हर रोज़ खुले रुपए देने के लिए हर लेने दें की जगह पर झगड़े फसाद होते हैं। आम नागरिक तो रुपए ना घर पर छापता है न बैंक खोले बैठे हैं कि कहीं भी पांच दस बीस रुपए हर किसी को हर जगह दे सके। सरकार ने व बैंकों ने हर जगह पांच सौ कै नोट को ही जारी कर रखा है। छोटे नोट केवल माला बनाने वालों की झुके सिवाय कहीं नहीं मिलते हैं। यह सिस्टम केवल लुटेरों के लिए बना रखा है। यदि लूट खसोट करनी हो तो कम बोझ व जगह के कारण सरकार ने लुटेरों के लिए उत्तम व सर्वश्रेष्ठ नियम बना रखा है। इन्टरनेट बैंकिंग क्षेत्र के कारण बड़े नोटों की जरूरत पूरी तरह समाप्त हो चुकी है केवल वोट खरीदने रिश्वत लेने के लिए ही बड़े नोटों का प्रयोग शत-प्रतिशत बचाकर रखा है। और कोई सार्थक कारण किसी भी सृष्टि में नजर नहीं आता है। सरकार से सार्थक निवेदन है कि अपनी जेब भरने की बजाय, जनता को सुलियत देनी सिखनी चाहिए व आनी चाहिए। सरकार ने ...