Skip to main content

अपने शरीर से रोग भगाने का बिना खर्च का उपाय

     बहुत से ही नहीं तकरीबन सारी दुनियां के लोग , यह नहीं जानते हैं कि उनको जो रोग हो रहें हैं वे क्यों पैदा होते है। रोग व चोट हमारे शरीर पर पिछले जन्मों के कर्मों के श्राप के फल स्वरूप घटित होते हैं । उन घटनाओं की निवृति का समय मनुष्य या अन्य योनियों को हर जन्म के कार्यकाल में मिलता है। लोग घटनाओं  के प्रभाव के समय मनुष्यों व अन्य जीवों को शारीरिक कष्टों के माध्यम से उनकी निवृति याद दिलायी जाती है । 
   
लोग दो कारणों से इनकी निवृति नहीं करवाते हैं  1 तो उनको ज्ञान  नहीं , 2 सरा लोग जान बूझकर नहीं करवाते हैं बदला लेने की प्रवृति के कारण। दोनों ही स्थितियों में यह सघन व जन्म जात रोग के रूप में वे श्राप फलते फूलते रहतें हैं व महाभंयकर कुरूपताकारक कुष्ठ रोगों में तबदिल होते जाते हैं व योनियां विनाश के कागार पर पहुंच जाती है । 

    कुछ लोग तांत्रिकों के चक्कर में टोने टोटके करके कुछ दिनों या महिनों के आराम के बाद और विकराल रूप की तकलीफ में फंस जाते हैं । जिसमें तांत्रिक तक को जान से हाथ धोना पड़ता है। वैसे इनके लिये एक धेले की व कोई विशेष सामग्री  की कोई आवश्यकता नहीं है । अपने शरीर  को पूर्ण रूप से पवित्र व सात्विक रखना होता है।जो दिवस निर्धारित होते हैं उन पर उनकी निवृति करनी होती है । उसके लिये पूर्व जन्म में घटित घटनाओं का विवरण , हमारे यहां मिलने वालें तकरीबन काल निर्णय कलेण्डर में मिल जाता है, जाति व धर्म आधारित समय पर आपको पक्का संदेश लिखा मिलता है। 
JOCKEY [CPS] IN     
सबसे   आसान तरीका है त्यौहार , कोई भी त्यौहार किसी प्रकार की खुशी के लिये नहीं मनाया जाता है। ये सब उन्ही श्रापों को खत्म करने व उनकि निवृति के दिन है जिनके श्राप आप  लोगों पर है । इसलिये त्योहार पर घर तक को शुध्द किया जाता है।पुर्ण शुध्दता के साथ उनका भोग आग में लगाया जाता है यदि आग में भोग नहीे लगाया जाता तो कोई भी ग्रहण कर्ता उसे नहीं लेता है ।
    
 फिर    सवाल आता है कितने बार य़ह क्रिया करनी पड़ेगी तो इसका सीधा सा जवाब है जितने जन्म हुये है , उतने ही बार करना पड़ेगा।इसके लिये न पुरोहित व पंडित की जरुरत होती है। वे कर्म स्वयं करने होते है , समय नहीं तो दुख  झेलों। सरकार   ने छुट्टी तक दे रखी है ,अपना कर्म कायिक, मानसिक शुध्दता से करे व घर का हर सदस्य करे।यह कर्म हर रोज किया जा सकता है । बिना किसी समस्या के ।किसी के बहकावे में न आवें।

   हर रोज स्नान के बाद ,रसोई में किसी भी प्रकार की झुठन न हो तो सबसे पहले दैनिक भार निवृति के लिये शुद्ध सुखे पदार्थ एक चुटकी भर चूल्हे की आग में डाल दे , चाहे गैस  स्टोव ही क्यों न हो ।इसमें आपको लगातार बर्नर साफ करना पड़ेगा ।इससे आपके तकरीबन सभी भारों की निवृति होने लग जायेगी । कालान्तर में  सब रोग व दूख दूर होते चले जायेगें।दिन प्रतिदिन शरीर में सुधार होता जायेगा । दवाओं की किसी भी तरह जरूरत नहीं रहेगी। 

AliExpress WW 
      इसमें पक्के आनाज की आहुति होती है, यहां हरि सब्जियों की भी आहुति देनी ही होगी , अन्यथा कैंसर व अपंगता जैसे रोग होते रहेगें। कोई भी हरि या कच्ची फल व सब्जी तोड़ेने से पहले पौधे की अनुमति  लेनी जरूरी होती है , इन्हीं योनियों के रोग आज तक  बहुतायत में उपलब्ध हैं उसका पहला अंग उसी पौधे को दान कर देना चाहिये ताकि उसकी रिकवरी हो  सके ।

   दो दिन बाद एक त्यौहार आ रहा है रक्षाबंधन जो कहते रक्षा हेतू  ,लेेकिन उस दिन युधिष्टर व करण व द्रोपदी के श्राप का समय भी  साथ में हैं जो भद्रा के रूप  में। उस दिन उस समय में राखी नहीं बांधनी चाहिये। उस के कारण मौत हो जाती है , अत उनके श्राप की निवृति भद्रा काल  में ही कर देनी चाहिये । पांचों दिन हर महिने में नियत होते हैं सभी माता व बहनों को अवश्य निवृति कर देनी चाहिये । इससे आने वाले जीवन में किसी प्रकार के कुपितर पूजा आदि नहीं करनी पड़ेगी । माहवारी के रक्तपात से निवृति  िमलेगी , ये निवृति पांचों पांडवों को सामुहिक व पृथक पृथक देनी होगी । 

   मनुष्यों में इसकी पहचान बवासीर के रोगी के रूप में होती है इसलिये सभी मनुष्यों को निवृति का प्रयोजन करना चाहिये ताकि आपका कष्टममय जीवन दुर हो सके।. 

Times Prime [CPA] IN

Comments

Popular posts from this blog

ईवीएम का विकल्प हमारे पास मौजूद है केवल उपयोग करना आना चाहिए।

 चुनाव घोषणा हो ते ही चाहे अगले दिन बिना देश का एक पैसा खर्च किए चुनाव कराए जा सकते हैं बिना किसी दुःख व दुविधा के। जैसे ही पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन कर लें तभी चुनाव घोषित किए जाने चाहिए। केवल जितनी पार्टी है उतने ही मास्टर कम्प्यूटर चाहिए,हर एक पार्टी को चुनाव आयोग के साथ में ताकि चुनाव आयोग गड़बड़ी न कर सके। मोबाइल फोन से वोटर को आधार कार्ड से के नं से वोटिंग करवा लें। केवल एक दिन ही सबको शिक्षित किया जा सकता है इस बारे में। सारी पार्टीयों को अपने दफ्तर के कम्प्यूटर पर उसी दिन बिना गिनती किये पता चल जाएगा कि कितने वोट किस पार्टी को मिले हैं। चुनाव आयोग का कार्य केवल उन सभी के कम्प्यूटर के डाटा को इकट्ठा करना पड़ेगा यह बताने को कि कितने प्रतिशत मतदान हुआ है। बाकी काम पार्टी के कम्प्यूटर कर लेंगे। फूटी कोड़ी तक सरकार की नहीं होगी। चाहे तो कार्य काल समाप्त होने से पहले ही चुनाव सम्पन्न बिना किसी सुरक्षा बल के किया जा सकता है। किसी अधिकारी व कर्मचारी को कोटा पैसा तक सरकार को नहीं देना पड़ेगा टी ए, डी ए के रूप में।  बस बेइमानों को दुःख होगा कि वे धांधली व बेईमानी न कर सके। ...

भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक ने 200 ,500 रुपए बंद करो।

 भारतीय रिजर्व बैंक व भारत सरकार ने 200और 500 रुपयों के नोटों को प्रचलन से व सरकारी करंसी से पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए। ये नोट केवल लोगों की समस्याओं को बढ़ावा देने के सिवाय कुछ भी कार्य के नहीं हैं। हर रोज़ खुले रुपए देने के लिए हर लेने दें की जगह पर झगड़े फसाद होते हैं। आम नागरिक तो रुपए ना घर पर छापता है न बैंक खोले बैठे हैं कि कहीं भी पांच दस बीस रुपए हर किसी को हर जगह दे सके। सरकार ने व बैंकों ने हर जगह पांच सौ कै नोट को ही जारी कर रखा है। छोटे नोट केवल माला बनाने वालों की झुके सिवाय कहीं नहीं मिलते हैं। यह सिस्टम केवल लुटेरों के लिए बना रखा है। यदि लूट खसोट करनी हो तो कम बोझ व जगह के कारण सरकार ने लुटेरों के लिए उत्तम व सर्वश्रेष्ठ नियम बना रखा है। इन्टरनेट बैंकिंग क्षेत्र के कारण बड़े नोटों की जरूरत पूरी तरह समाप्त हो चुकी है केवल वोट खरीदने रिश्वत लेने के लिए ही बड़े नोटों का प्रयोग शत-प्रतिशत बचाकर रखा है। और कोई सार्थक कारण किसी भी सृष्टि में नजर नहीं आता है। सरकार से सार्थक निवेदन है कि अपनी जेब भरने की बजाय, जनता को सुलियत देनी सिखनी चाहिए व आनी चाहिए। सरकार ने ...