यदि कोई आदमी बिमार होता है तो उस रोग को शरीर से बाहर करने में बहुत कुछ खर्च होता है कोई किसी रूप में तो कोई किसी रुप में।
लेकिन सबसे ज्यादा खर्च बिमार आदमी के बुरे कर्मों का हिस्सा होता है जो पूर्व जन्म से घरणित होते हैं।
दूसरा सबसे जो सबसे बड़ा हिस्सा होता है शारीरिक कोशिकाओं का होता है।
रूपए व पैसों का हिस्सा सबसे कम खर्च होता है। क्यों कि दवाईयों पर होने वाले खर्च से कई गुणा खर्च डाक्टर की फीस व लैब में होने वाले खर्च है।
दवाई यदि १०००रुपये की होती है तो डॉक्टर की फीस व अन्य खर्च १००००० से भी ज्यादा होता है।
अतः दवाओं को बिमारियों का बोझ न बनाये , दवाएं केवल सप्लिमेंट काम करती हैं। रोग केवल व केवल ठग्गी के रुपए वापस होने पर कटता है।
सचेत रहें कहीं किसी की उधार तो बाकी नहीं बची है जो बाद में रोग कारण बने।
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