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देशी व वनस्पति घी में मिलावट

 जन मानस समय रहते सचेत हो जाएं नहीं तो महा भंयकर व्याधियों से रुबरु होना पड़ेगा जो लाइलाज बिमारियों के साथ आयेगी। तथा लाचारी व घृणित अवस्था में मौत के मुंह में समाना पड़ेगा। अतः पानी सिर के ऊपर से बहने के पहले अपना सुदृढ़ प्रबंधन कर लेना।

लोग रुपए, पैसों के लालच में महा घिनौना काम करने से नहीं हिचकते हैं। इसी कड़ी में एक प्रमुख पहलू यह है कि लोग देशी व वनस्पति घी तथा खाद्यान्न तेलों में सूअर की चर्बी व प्लाज्मा तरल मिलाते हैं। बहुत से पेय पदार्थों में भी पशुओं के खून व प्लाज्मा की मिलावट नंगी आंखों से देखी जा सकती है।

ये सब शारिरिक व मानसिक रोगों का इकलौता कारण है। अधिकांश तौर पर इनसे उत्पन्न बिमारियां, केवल मौत के मुंह तक ले जाती है। सचेत रहें ऐसे पदार्थों से दूर रहें। इस के पिछे दूसरा अहम मुद्दा और भी महा भंयकर जो आपकी रातों की नींद उड़ा देगा। पढ़ते रहिए।

जितने भी साधु, बाबा, सुवादु, तांत्रिक ,झाड़ फूंक व बेऔलाद औरतें इस काम को बखूबी व बेख़ौफ़ करते देखे जाते हैं। यदि आप भी उनमें से एक है तो सम्भल जाएं ताकि आने वाले जन्म आपको अंध कूप के नर्क में जाने से बच सके। जितनी यातना तुम लोग निरह जीवों को देते हो उससे की करोड़ गुणा यातनाएं दी जाती है।

अब निर्णय केवल तुम्हारा तुम्हारे काम आयेगा। एक छोटा सा अपराध , करोड़ों वर्षों के नर्क के कष्टों का कारण बन सकता है। यदि आप ऐसे लोगों को पकड़ने के इच्छुक हैं तो उन लोगों पर नजर रखे जो आपके करीब है सबसे ज्यादा जिम्मेदार व यही लोग  नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इनके कर्मों की पहचान भी देख लीजिए ताकि बचा जा सके। बहुधा ये लोग दो तरह से काम करते हैं एक ये किसी मोली के धागे को तंत्र मंत्र से गंठित कर यानि गांठ बांध कर आप के घर में या राह में फैंक देते हैं जैसे ही आपका पांव उस पर पड़ा आपको उससे संबंधित समस्या से जूझना पड़ता है। आज कल पोलिथीन के लिफाफे व सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग भी अपने चरम पर है।

दूसरा कारण बहुत ही सरल है जो ज्यादा तर लोग कर रहे हैं। इसमें लोग अपने मनोभावों को दूसरे के शरीर में प्रवेश करवाने के लिए ,अपने हाथ से एक इसारा उस आदमी की ओर करते हैं जिसमें अपने बुरे कर्म डालने होते हैं। इसमें एक आदमी से लेकर करोड़ों लोगों की गैंग समलित होती है ताकि इसारा करने वाले का पता लगाने में कठिनाई हो। भारत वर्ष में यह गैंग भगवान् कृष्ण के नेतृत्व में काम कर रही है।जिसका दूष्परिणाम कृष्ण अनेक जन्मों से भोग रहे हैं वह भंयकर रुप से सड़ गये तथा काले कलूटे पड़े है।

आप लोगों के ध्यानार्थ व चेतावनी स्वरूप लेख सम्पूर्ण सृष्टि के हितार्थ समर्पित। दिनांक १६ फरवरी ६०अबस/16-4-60ABS


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