क्या आप जानते हैं कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत में आत्महत्या की घटनाएं भारत सरकार के कारण बढ़ने जा रही है। सरकार अपने कान व आंख बंद कर अपनी राजनीति की रोटियां सेंक रही है। जब सरकार की आंख खुलेगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। अतः सरकार को उस पहलू पर सारी राजनीति छोड़कर काम करना चाहिए। जिसका आगे जिक्र करने जा रहा हूं।
सरकार गरीब लोगों को या अमीर लोगों को घर या दुकान जिस भी रेट पर उपलब्ध करवा रही है। वह भारत की जनता की हेसियत से बहुत ऊंचे भाव पर दे रही है। कुछ पूंजीपतियों को छोड़ कर किसी के पास इतनी धन संपत्ति नहीं है जो वह कीमत आम जनता व व्यापारी सात जन्म में भी नहीं पूरी कर सकता है।
ऊंचे भाव पर प्लाट जिसका मुल्य करोड़ों रुपए है सरकार की फीस लाखों में है बनाने का खर्च करोड़ों में है सामान कीमत यदि व्यवसाय करते हैं लिक्विड फंड हर रोज जरूर चाहिए। कुल मिलाकर देखा जाए तो कम से कम एक दुकान चलाने में दस पंद्रह करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ग्राहक दिन में दस भी मिलने कठिन है। इतना रुपया बैंक से ऋण पर लिया गया है।उसका ब्याज भी पूरा नहीं आता महीने भर में। लोगों को भूखे पेट सोने को मजबूर भारत सरकार ने कर दिया है।
सरकार कुछ यानि १०००, २००० प्रोपर्टी डीलरों के बहकावे में चल रही है। जब लोगों की कूरकी होती है तब पता चलता व्यापारियों व मकान मालिक की गई भैंस पानी में। घर का सामान सड़कों पर फैंक दिया जाता है। नौकरी के रुपए इतने अधिक देते हैं कि बच्चों की फीस तक के रुपए पास नहीं रहते हैं यह हालात उन लोगों की है जिनमें शराब,जुआ, रंडीबाजी आदि कोई बुराई नहीं है। एक बुराई है केवल वे भिखमंगो को अपना वोट देकर राजनीति में ले आते हैं।
जनता से गुजारिश है कि आने वाले चुनावों में उन्हीं नुमायन्दों को वोट दे जो आपके जीवनयापन के साधनों को आम लोगों की पहुंच से बाहर न होने दें। सरकार नौकरी हर किसी को नहीं दे सकती हैं। २) सरकार को कहें कि दुकान व मकान सरकार बनाकर दे। इस एवज में सरकार किराये पर दुकान व मकान दे और मासिक किराया लें। इससे लोगों पर कर्ज का भार नहीं रहेगा। सरकार के रुपए किराये से पूरे कर लिए जाएंगे।
सरकार यह नीति फिर लानी चाहिए जो बंद कर दी थी। इसमें सरकार व लोगों , दोनों का फायदा है। नहीं तो जब लोग ही नहीं रहेंगे तो राज किस पर करोगे। इसका भविष्य बहुत ही नजदीक और खतरनाक है। सबकुछ ले डूबेगा। मुफ्त के माइक पर कोई भी जोर जोर से चिल्ला कर कुछ भी कह सकता है।हकिकत सातों आसमान दूर की बात है। आजकल बिना चुटकी के काम नहीं होता है यही भारत सरकार की इकलौती सच्चाई है। कोई इसको नहीं नकार सकता है।
भारतीय जनता पार्टी ने लोगों को गिरवी रखने काम बड़े सुंदर ढंग से किया है।। पता नहीं क्यों ये राजनेता , राजनेता तो नहीं है कहना पड़ता है अपनी हकिकत क्यों भूल जाते हैं। राजनेता वह होता है जिसके राज में किसी को किसी प्रकार की तकलीफ़ नहीं होती है। उसके भूमि पर पैर रखते ही सारी प्रजा की तकलीफ़ समाप्त हो जाती है।
लोगों को ऐसे राजनेता को ही चुनना चाहिए। सरकार को इस ओर ध्यान अवश्य देना चाहिए। उम्मीद करता हूं कि सरकार कानून बनाकर किराये के मकान व दुकान लाकर जनता की कठिनाइयां दूर करेगी।
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