Skip to main content

बार बार थूक आना और बाहर थूकना

 यदि आप को बार बार बहुत मात्रा में दूध बनता है और उसे बाहर थूकना पड़ता है तो यह आपके लिए बहुत नुक्सानदायक है तथा एक गंदी आदत भी शरीर में घर कर जाती है। लोगों की दृष्टि में आप घृणा के पात्र बन जाते हैं। शारीरिक मानसिक क्रिया भी ग़लत होने लग जाती है। जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


थूक बनना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अतिआवश्यक है। लेकिन यदि अधिक थूक बनता है इसका मतलब यह है कि आपके शरीर में टोक्सिन की मात्रा ज्यादा उत्पन्न होने लगी है। जो शरीर के पाचन तंत्र को नुक्सान पहुंचाने के फिराक में है। इसके प्रतिकुल प्रभाव को रोकने के लिए ही अधिक थूक का निर्माण मुंह में होना शुरू हो गया है।


थूक लार का ही हिस्सा हैं जिसमें इंजाईम होते हैं जो हमारे भोजन को पचाने में सहायक होते हैं। थूक खाना आसानी से निगलने में मदद करता है। यदि थूक न बने तो खाना निगलना मुस्किल हो जाता है। यदि थूक कम बनता है तो पेट में जलन व गैस की समस्या, पेप्टिक अल्सर कारण बन जाता है। सेहत दिन प्रतिदिन गिरती जाती है। शरीर में खाया पिया नहीं लगता है।

 इस समस्या का निदान बिना दवा दारु के पूर्ण से सम्भव है। न ही दवा के प्रतिकूल प्रभाव का डर रहता है। न आपको किसी डॉक्टर व वैद्य के पास जाने की आवश्यकता होती है। आगे जो उपाय बताए रहा हूं उसे डाक्टर व वैद्य भी कर सकते हैं या अपने मरीजों को सलाह दे सकते हैं। यह एक योग क्रिया है। इसका प्रभाव में दिन नहीं लगते हैं। केवल १ सैंकंड में पूर्ण प्रभाव देखा जा सकता है।


आप इस क्रिया को किसी समय तथा एक दो से लेकर कितनी बार व कहीं भी, चलते फिरते, उठते बैठते या योग की तरह समय निकाल कर सकते हो। इसमें आपको केवल यही एक काम करना पड़ता है आप जहां जिस अवस्था में हो , यदि अधिक थूक बन रहा व आप को उसे निगलने की बजाय थूकने की इच्छा होती है तो आप अपने पैरों की उंगलियों को मोड़ लेना जितना भी मुड़ती है चाहे जूते पहने हुए हो। जूतों को पहने पहने उंगलियों को मोड़ लेना है। जैसे ही उंगली मुड़ी उसी सैंकड थूक पेट में चला जायेगा।

आपकी थूकने की गंदी आदत तो छूट जाएगी। उससे बड़ी बात यह है कि आपके उदर जनित रोगों से छुटकारा मिल जाएगा। आपका स्वास्थ्य बिना किसी टोनिक के ठीक होना शुरू हो जाएगा। आप रोज मरा की गैस बनना व पैप्टिक अल्सर से बच जाओगे। पेट में अधिक बनने वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल न्युट्रीलाइजड हो जायेगा। आपकी समस्या समाप्त हो जायेगी।

Comments

Popular posts from this blog

ईवीएम का विकल्प हमारे पास मौजूद है केवल उपयोग करना आना चाहिए।

 चुनाव घोषणा हो ते ही चाहे अगले दिन बिना देश का एक पैसा खर्च किए चुनाव कराए जा सकते हैं बिना किसी दुःख व दुविधा के। जैसे ही पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन कर लें तभी चुनाव घोषित किए जाने चाहिए। केवल जितनी पार्टी है उतने ही मास्टर कम्प्यूटर चाहिए,हर एक पार्टी को चुनाव आयोग के साथ में ताकि चुनाव आयोग गड़बड़ी न कर सके। मोबाइल फोन से वोटर को आधार कार्ड से के नं से वोटिंग करवा लें। केवल एक दिन ही सबको शिक्षित किया जा सकता है इस बारे में। सारी पार्टीयों को अपने दफ्तर के कम्प्यूटर पर उसी दिन बिना गिनती किये पता चल जाएगा कि कितने वोट किस पार्टी को मिले हैं। चुनाव आयोग का कार्य केवल उन सभी के कम्प्यूटर के डाटा को इकट्ठा करना पड़ेगा यह बताने को कि कितने प्रतिशत मतदान हुआ है। बाकी काम पार्टी के कम्प्यूटर कर लेंगे। फूटी कोड़ी तक सरकार की नहीं होगी। चाहे तो कार्य काल समाप्त होने से पहले ही चुनाव सम्पन्न बिना किसी सुरक्षा बल के किया जा सकता है। किसी अधिकारी व कर्मचारी को कोटा पैसा तक सरकार को नहीं देना पड़ेगा टी ए, डी ए के रूप में।  बस बेइमानों को दुःख होगा कि वे धांधली व बेईमानी न कर सके। ...

भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक ने 200 ,500 रुपए बंद करो।

 भारतीय रिजर्व बैंक व भारत सरकार ने 200और 500 रुपयों के नोटों को प्रचलन से व सरकारी करंसी से पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए। ये नोट केवल लोगों की समस्याओं को बढ़ावा देने के सिवाय कुछ भी कार्य के नहीं हैं। हर रोज़ खुले रुपए देने के लिए हर लेने दें की जगह पर झगड़े फसाद होते हैं। आम नागरिक तो रुपए ना घर पर छापता है न बैंक खोले बैठे हैं कि कहीं भी पांच दस बीस रुपए हर किसी को हर जगह दे सके। सरकार ने व बैंकों ने हर जगह पांच सौ कै नोट को ही जारी कर रखा है। छोटे नोट केवल माला बनाने वालों की झुके सिवाय कहीं नहीं मिलते हैं। यह सिस्टम केवल लुटेरों के लिए बना रखा है। यदि लूट खसोट करनी हो तो कम बोझ व जगह के कारण सरकार ने लुटेरों के लिए उत्तम व सर्वश्रेष्ठ नियम बना रखा है। इन्टरनेट बैंकिंग क्षेत्र के कारण बड़े नोटों की जरूरत पूरी तरह समाप्त हो चुकी है केवल वोट खरीदने रिश्वत लेने के लिए ही बड़े नोटों का प्रयोग शत-प्रतिशत बचाकर रखा है। और कोई सार्थक कारण किसी भी सृष्टि में नजर नहीं आता है। सरकार से सार्थक निवेदन है कि अपनी जेब भरने की बजाय, जनता को सुलियत देनी सिखनी चाहिए व आनी चाहिए। सरकार ने ...