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अपना जीवन संवारने के लिए

                  हर किसी को यह इच्छा रहती है कि वह हमेशा स्वस्थ रहें, वह किसी भी रोग यानि शरीर से उसकी शक्ति लूटने वाले ठगो से बचा रहे। परन्तु ये इतने शातीर होते हैं कि किसी न किसी प्रकार शरीर के अंगों की शक्ति कम कर , उन्हें कमजोर कर देते हैं। फिर वह कमजोरी धीरे धीरे बढ़ती जाती है और आगे चल कर एक भयानक रोग का रूप धारण कर हमें तंग करने लगती है। कभी कभी तो असाध्य रोग में परिणित हो जाती है।उसका उग्र रूप असहनीय होता है।

                                                                            आज्ञा चक्र

इससे बचने के लिए एक बहुत ही शानदार और बिना किसी प्रकार के खर्च का उपाय है बस इसमें आपको अपनी सामंजस्य शक्ति संजोकर व एकाग्र कर कुछ शारीरिक क्रियाएं करनी होती है उसके बाद ये ठग आपके शरीर के पास नहीं फटक सकते हैं।आपको नियमित रूप से आदत बना कर इन क्रियाओं को एक दो मिनट के लिए करना पड़ता है। यदि आप इस विद्या में बंध गए तो आप की पौ बारह। कोई रोग आपको नहीं बतायेगा। और आप चैन की जिंदगी जी सकते हो

                 आपको अपने आज्ञा चक्र को जाग्रत करना है। उसके लिए आपको केवल एक दो मिनट ही ध्यान एकाग्र कर योग मुद्रा में बैठना है। और जो चित्र दिया है उसे बिना पलक झपकाते एकटक चक्कर के मध्य में ध्यान केंद्रित करना है। इससे सारी शक्ति एक स्थान आज्ञा चक्र में समाहित हो जायेगी। आपका शरीर पूर्णतः आपके नियंत्रण में आ जायेगा। आपके अंग प्रत्यग आप की इच्छा अनुसार कार्य करना शुरू कर देंगे। अब आप या कोई मनुष्य रोग , ठीक बिमारी , तकलीफ़ व कष्ट नहीं चाहते हैं।

                   जब आप चाहेंगे ही नहीं तो आपके शरीर द्वारा कष्ट व रोग  नकार दिया जाएगा । तो ये दुःख दर्द आप के पास तक नहीं फटकने नहीं देंगे वो आप निरोगी हो जाओगे। आप हर रोज प्रातः दो मिनट अपने लिए अवश्य निकाल कर कर यह योग क्रिया जरूर करें। जीवन जीने के लिए शरीर अनमोल निधि है। इसको व्यर्थ के व्यसनों में भूला कर, इस मुल्यवान धरोहर को नष्ट न करें। आशा करता हूं यह बिना खर्च का उपाय अवश्य आजमाएंगे और स्वस्थ जीवन अपनाएंगे।




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