चुनाव परिणाम घोषित होते ही भारतीय जनता पार्टी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आगे कोई वेतन आयोग गठित नहीं करना व सेना की पेंशन बंद करने के फैसले की आवाज सुनाई देने लगी है। भारतीय जनता पार्टी का मुख्य उद्देश्य राज करने का देश में फिर से बंधवा मजदूरी लाने का था उसमें वह ७० प्रतिशत तक कामयाब होती नजर आ रही है। यदि आम चुनाव में संता में आई तो उसका पहला कार्य सभी की पेंशन बंद करना है।
सरकार ने नकली नोटों के सहारे अपने बड़े बड़े शापिंग माल बना लिए हैं। किसानों की ज़मीनों को खरीद लिया है तथा बंधवा मजदूरी से लोगों फिर से खेती करवाने के मंसूबों को अन्जाम देने के फिराक में सत्तारूढ़ हुए बैठी है। आम लोगों के खेत व आशियाने लगभग छिन लिए हैं। आज के अखबार की मुख्य खबर इस बात की द्योतक है। जैसे जैसे रेट बढ़ेंगे वैसे वैसे लोग फुटपाथ पर आना शुरू हो जायेंगे। भारतीय जनता पार्टी ने गरीबों का उद्धार करने की कदापि नहीं सोचा है। यह सब आप को दिखाई दे रहा है वह पूर्व में किए कार्यों को हटाने का सूचक है।
भारतीय जनता पार्टी कहती हैं उसने रोजगार दिया है । आप हर रोज एक बहुत ही महत्वपूर्ण आंकड़ा सुनते व देखते हो मिडिया पर। केन्द्रीय सरकार सरकार के कर्मचारी व पेंशन धारक। उनकी संख्या केवल दोनों को मिला कर लाखों में ही है पी एस यू मिला कर। भारत की जनसंख्या एक अरब चालिस करोड़ बता रही है सरकार। यदि हम भारत सरकार के पहले के आंकड़ों का लेखा जोखा देखें तो तीस प्रतिशत जनता सरकार के कर्मचारी होते थे बाकी सत्तर प्रतिशत खेती पर निर्भर करते थे।
अब आप सीधा सीधा हिसाब भी करें तो सारी राज्यों की कर्मचारी सेना मिला ली जाए तो ब मुसकिल से पांच करोड़ भी नहीं पहुंच सकती है। प्राइवेट लिमिटेड व अन्य का हिसाब भी जोड़े तो आंकड़ा दस करोड़ भी नहीं पहुंच सकता है। अब बताओ सत्तर प्रतिशत खेती पर निर्भर दिखाते तो भी ९८ करोड़ लोगों को काम पर कह सकते हैं + १० करोड़ सरकारी कुल एक अरब ८ करोड़ हुए जबकि हकीकत इससे कोसों दूर है। मुश्किल से पचास करोड़ को खाना ठीक से नशीब होता होगा। बाकी लूटते , डकैत व भिखारी है। अब भिखारी राजनीति का मुख्य हिस्सा बन चुके हैं। जितने भी भगवा धारी हैं सब के सब भिखारी है।
क्या भिखारी किसी कुछ दे सकता है केवल भिख मांगने के। यही आगे होने जा रहा है। सबकी पेंशन बंद कर दी जाएगी। लोगों का शौषण सरेआम होगा। इसका उदाहरण यह है कि हर कार्यालय में रिश्वत सरेआम व खुल कर मांगी जा रही है। अधिकारी व कर्मचारी तो यहां तक कहते हैं जब लाखों देकर नौकरी ली है तो यहां तो लाखों लेकर ही काम होगा। प्राइवेट स्कूल, कालेज हो या अन्य स्थानों पर , समाचार पत्रों में वेतन ४० ,५० हजार कहते हैं देते हैं १०से अधिकतम१५ हजार रुपए। क्या जो मंहगाई सरकार ने जानबूझकर कर बढ़ाई है उसमें १५ हजार में गुजारा करना सकती है सरकार। यह सब नेताओं व पूंजीपतियों के कारण है क्योंकि सारे प्राइवेट धंधे सब उनके है। दूसरों को तो वे करने ही नहीं देते हैं।
९० प्रतिशत बैंक प्राइवेट है अधिकांश लोग उनके पहले से क़र्ज़ दार बना दिया गया है। मूल तो दूर ब्याज भी लोगों से नहीं होगा। लोगों की जमीन व अन्य साधन जब्त कर लिए गए हैं। इसलिए अपने देख रहे हो पुरानी कार बाजार सारे भारत में व्यापक तौर पर दिखाई दे रहे हैं। सब बैंकों व फाइनैंसर द्वारा हड़पे वाहन है। था मैं भी भारतीय जनता पार्टी का स्पोर्ट्स पर यह सब नीति देख छोड़नी पड़ेगी। क्योंकि इन्होंने धर्म के नाम पर लोगों को भड़काना शुरू कर दिया है। इसमें पार्टी के चंद लोगों का तो कुछ नहीं जायेगा। लेकिन किसी जाति धर्म के लोग हो, मरवाये तुम ही जाओगे।
सारे कर्मचारियों से निवेदन है कि सरकार के कुछ गये गुजरे नेताओं के बहकावे में न आए। पहले आपने निश्काम भाव देश के लिए सारी महत्वपूर्ण आयु देशहित में दान कर दी। उसका इनाम पेंशन बंद करके दिया जा रहा है। पहले से चेत जाओ ताकि पछताना न पड़े। फौजियों को पता चल गया है । एक रैंक एक पेंशन पर कोई काम आज तक नहीं हुआ है। एक हवलदार से नायक ज्यादा पेंशन दे रहा है। फिर पेंशन में ग्रुप रखे क्यों। जब तक ग्रुप रहेगा , एक रैंक एक पेंशन नहीं हो सकती है।लेगंथ ओफ सर्विस का मतलब नहीं है।
यदि यह लड़ाई लड़नी है तो आपको लोकसभा में बैठना होगा। अधिकारियों के भरोसे ज्यादा नहीं रहना है वे बेचारे होते हैं जब प्रमोशन की बात आती है तो वे नेताओं के पिछलग्गू बन जाते हैं। उनके अन्दर का योद्धा मारा जाता है। जब अधिकारी चुनाव जीत सकता है तो कर्मचारी उससे कहीं अधिक आसानी से चुनाव जीत सकता है। अधिकारी से जवान में योद्धापन कहीं अधिक होता है। जय भारत, विजयम अस्तु।
Comments
Post a Comment