Skip to main content

लूटने का अनोखा तरीका

 आज कल का इंसान काफी होशियार हो गया है, वह हर रोज नये नये आविष्कार कर दुनिया को कुछ कुछ सुविधाएं प्रदान करता आ रहा है। लेकिन कुछ लोगों ने ऐसे कर्म कर डाले हैं जिनको बहुत से लोग अनुसरण कर अपना व समाज को बहुत हानि पहुंचा कर दुनिया को असमय व अकारण अलविदा कह रहे हैं।

ऐसी दुनिया में पैट्रोल पंप के मालिक व मायावी यातायात के साधन बनाने वाले सबसे आगे हैं। वे एक तीर से दो शिकार की बजाय तीन व अधिक शिकार करने के चक्कर में अपने सगे संबंधियों , बच्चों व घरवाली को मृत्यु के खेल में शामिल करते जा रहे हैं।

पैट्रोल पम्प मालिक पैट्रोल व डीजल के दाम बढ़ा कर , साथ में मायावी ईवी आटोमोबाइल बना कर, लोगों तो लूट रहे हैं। जब कि दाम कम होने चाहिए। अपने बच्चों व घरवाली आदि के कारण ,आटो, इतिआदी बना कर उन्हें जहन्नुम भेज रहे हैं। ऐसे कर्मों व लोगों से बच कर रहें। ये सब जानलेवा है।

सकल पदार्थों से निर्मित उपकरण ही इस्तेमाल करे। मायावी तो आपके घर से स्वयं गायब हो जाते हैं या गायब कर लिए जाते हैं। फिर थाने तहसील कार्यालय के चक्कर लगाते रहो मिलेगा अभी नहीं क्योंकि वह सकल पदार्थों से निर्मित उपकरण नहीं है। लाखों रूपयों की चपत लगा दी जाती है। 

यदि बार बार बन्द हो जाता है तो वह उपकरण मायावी है। अतः आज कल जो भी खरीदें अच्छी तरह जांच कर ही खरीदें।


Comments

Popular posts from this blog

ईवीएम का विकल्प हमारे पास मौजूद है केवल उपयोग करना आना चाहिए।

 चुनाव घोषणा हो ते ही चाहे अगले दिन बिना देश का एक पैसा खर्च किए चुनाव कराए जा सकते हैं बिना किसी दुःख व दुविधा के। जैसे ही पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन कर लें तभी चुनाव घोषित किए जाने चाहिए। केवल जितनी पार्टी है उतने ही मास्टर कम्प्यूटर चाहिए,हर एक पार्टी को चुनाव आयोग के साथ में ताकि चुनाव आयोग गड़बड़ी न कर सके। मोबाइल फोन से वोटर को आधार कार्ड से के नं से वोटिंग करवा लें। केवल एक दिन ही सबको शिक्षित किया जा सकता है इस बारे में। सारी पार्टीयों को अपने दफ्तर के कम्प्यूटर पर उसी दिन बिना गिनती किये पता चल जाएगा कि कितने वोट किस पार्टी को मिले हैं। चुनाव आयोग का कार्य केवल उन सभी के कम्प्यूटर के डाटा को इकट्ठा करना पड़ेगा यह बताने को कि कितने प्रतिशत मतदान हुआ है। बाकी काम पार्टी के कम्प्यूटर कर लेंगे। फूटी कोड़ी तक सरकार की नहीं होगी। चाहे तो कार्य काल समाप्त होने से पहले ही चुनाव सम्पन्न बिना किसी सुरक्षा बल के किया जा सकता है। किसी अधिकारी व कर्मचारी को कोटा पैसा तक सरकार को नहीं देना पड़ेगा टी ए, डी ए के रूप में।  बस बेइमानों को दुःख होगा कि वे धांधली व बेईमानी न कर सके। ...

भारत का संविधान के विजिटर बुक रह गई।

 संविधान का अर्थ सच्चे एक कठोर नियमावली होती है जैसे आग का कार्य जलाना होता है दूसरा नहीं हो सकता है। अब यह संविधान न होकर एक आगंतुक पुस्तिका बना दी है। जिसका कोई औचित्य नहीं होता है केवल इसके कि कोई नुमाइंदा आया था उसमें अपने मन की दो चार भड़ास लिखी व चल दिए। जिसने वे लिखी थी व लिखी हैं वे स्वयं उन पर न चल कर, सरे आम उल्लंघन करते हैं।देश की जन संख्या से ज्यादा उसमें  नेताओं ने संशोधन अपने कर दिए हैं।आम जनता के हित की बात का कोई सरोकार नहीं रहा है। आज बेशर्मी के साथ में करोड़ों रुपए हड़पने के लिए संविधान दिवस मनाया जा रहा है वह सुप्रीम कोर्ट में, जिसके निर्णय का कोई सांसद विधायक पालन सरेआम करते हैं  यदि कानून की सही व्याख्या कर भी दी जाती है तो उसी दिन या अगले दिन संसद में नये कानून लाकर कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा दी जाती है। मुखोटे पहन कर नाटक करने की क्या जरूरत है। संसार में भारत के कानून बेइज्जती होती है उतनी कहीं नहीं होती है। दूसरी बात जिस आदमी ने सारी सृष्टि समाप्त करवा दी थी उसके लिखे कानून के पन्नों में लड़ाईयों के खून की लाली के सिवाय कुछ भी नहीं है चाहे महाभ...