शिक्षा नीति व शिक्षक का मान सम्मान को ध्यान में रखते हुए, मैं सेठ छाजू अलखपूरिया , यह घोषणा करता हूं कि अपनी व देश नवजवान पिढि के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए हिसार जाट स्कूल व कालेज को देश की कन्या व महिलाओं के हित को ध्यान में रखते हुए हमेशा के शिक्षा के क्षेत्र से बहार करने की घोषणा स्वयं व हरियाणा और भारत सरकार से करता हूं।
पिछले कुछ सालों से चरित्र हिनता में संलिप्त छात्र व शिक्षक के कारण जाट संस्था के अग्रणीय योगदान को महाभंयकर रुप से क्षति हुई है। छात्राओं के भविष्य का खतरा पैदा हो ने व वैश्या वृत्ति का अड्डा बनाने की होड़ में कुछ अराजक तत्वों व देश द्रोहियों की गति विधियों कारण सरकार से निवेदन है कि जाट समुदाय की इस संस्था को पुरी तरह से बन्द दे ताकि जाट समाज अपने स्कूल व कालेज दूसरे स्थान बना कर शिक्षा के क्षेत्र में पुनः अपना योगदान दे सकें।
मैं जाट समाज से निवेदन करता हूं कि सात रोड़/सातड़ुज गांव की भागवती उर्फ भागा राधेश्याम मिणा उर्फ शुक्रगर बाबा व मुनि गर उर्फ पहलाद बाबा किरमारा शिव मंदिर, गिद्धू उर्फ रामफल कुपुत्र भागा ,बिरमती उर्फ संतरो कुपुत्री फतेहसिंह उर्फ पत्ता सिगराम को समाज व सभी जातियों से बहिष्कृत कर दिया जाए।
यह केश संयुक्त हिन्दूस्तान के लाहौर जाट संस्था का है जहां से भागा रामरुप उर्फ फांडु के स्कूल से भागकर भैणी रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के द्वारा बलात्कार की शिकार बनी गई। फिर बिरमती ने लेक्चरर के पद पर कार्यरत रहते हुए कालेज को वैश्या वृत्ति में धकेलने का कार्य किया। इसकी कहानी यह है, इसका विवाह सिघवा मदनहेड़ी हुआ था लेकिन ब्याह के दिन के बाद उसने ससुराल में जाने से मना कर दिया वो गांव में ही रहने लगी। परिवार वालों को उसकी गलत हरकतों के कारण शुक्रवार बाबा को सौंप दी। उसने किरमारा की पंचायत के सदस्यों से कहा कि मन्दिर से बाहर फेंक दो। पंचायत ने किरमारा शिवाला के बाहर फेंक दिया।
वह रहती फत्ते के घर पर ही। एक दिन उनके शिरी रामी को उसके शरीर की काम वासना बुझाने का आवाहन कर दिया। रामी ने उनके घरवालों से कह दिया। घरवालों ने कहा कि जब ब्याह किया उसके घर नहीं रही तो हम क्या करें। उसने अगले दिन प्रलाहद पुत्र मिरजिया चमार को कहा कि इसकी च्यूत में लन्ड दे। उसने कहा बेबे इसके तो लन्ड नहीं है। तो इस कसी का बिण्डा दे। उसने तो मना कर दिया लेकिन जब उसने इस बात की शिकायत अपने पिता जी मिर्जा चमार से की तो उसने कुछ चमारों के लोगों के आगे बात बढ़ा कर उसकी इज्जत लूटने की बात कही। उसमें रधी चील पहले से उसकी इज्जत लूटने के चक्कर में थी ने कहा चल उसकी च्यूत में लन्ड देंगे।
लेकिन उनमें से दोनों को लिंग न हो ने कारण तुलसा चमार से साथ देने को कहा वह तैयार तो हो गया लेकिन सारे चमारों की सहमती होनी चाहिए। उनके खेत के पड़ोसी खेत पर शीरी मनोहर चमार ने मना कर दिया। हम तो पहले ही टिकने ढैड से दुखी हैं। फिर सता उर्फ सत्यवान , काजी उर्फ किताबा, रामी,बलदेवा उर्फ साधू, मिर्जिया, गरड़ू उर्फ सुभाष,रधी चील व रामफल गिद्धू ने बारी बारी बिरमती से बलात्कार किया। बीरमती ने एक से ही वासना पूर्ती के लिए कहा परन्तु उन सबने जबरन योनि भोग किया। फलस्वरूप सज्जन कुपुत्र सब लोग पैदा हुआ। बाद में राजनीतिक दबाव में जाट कालेज में बीरमती को नौकरी दी जो शिक्षा विभाग पर कलंक का टीका लगा गई।
जाट संस्था की इमारत में राजा विलोचन की मायावी विद्या से शुक्रगर बाबा ने गंगा धर बनिए के साथ मिलकर वैश्य कालेज रोहतक के भवन को जाट कालेज हिसार के भवन में समाहित कर दिया है क्योंकि जिस जाट स्कूल हिसार से मैंने मैट्रिकुलेशन की परिक्षा 1982 में पास की थी वह स्कूल अब हिसार में नहीं है मैं ने बहुत बार उस भवन के हिस्से चैक किते, वे नहीं मिले। न ही भवन की मोडिफिकेशन की है। यह षडयंत्र जाट संस्था की आड़ में घिनौने कुकृत्य कोई और जात के लोगों द्वारा अन्जाम दिया जाये और नाम बदनाम जाट जाति व संस्था का हो। समय रहते सही कदम नहीं उठाया गया तो महाभंयकर परिणाम भोगने पड़ सकते हैं।
संस्था का हकदार वहां मौजूद नहीं था न सलाह ही ली गई। बाद में संस्था को बदनामी की होली में धकेल दिया। अतः सरकार से निवेदन है कि अब जो जाट कालेज व स्कूल है उसको तुड़वा दिया जाये।
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