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To get into Stream line of share Market

 If  any  body  have  interest  in  economics  and  want  to  earn  money  with  out  joining  any  service  in   any  nation  with  dignity  and  pride  and   to  promote  nations  wealth  as  well  individual    ,   can  join  share  market   with  honesty  and  with  self  esteem.


Here  is  a  share  the  company  named  after  Bombay  stock  exchange  ,  can  buy  with  dignity  and  to  feel  proud  of  a  Indian   to  help  the  nation  growth. The  share  name  is  BSE   Share  . It   is  trading  at Rs  571.90   at  Market  closed  yesterday.


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Clarification of Name

 I my self Sgt Suraj Bhan Moan retired declare that I have changed the spelling of my name as Sooraj Bhan Lohchab Moan my previous birth of SDN for known to public use along with my fake date of birth 08 June 1966 ,has been corrected as 19may 1965 which was wrongly endorsed along with my wrong name as Surjit s/o Baldev in birth and death register of Fathebad district as 19may 1966. This nonsense has been made by Ram Singh Patwari s/o Harlal and Sankar Dhanak Chokidar . I asked to show the birth records register kept with Chokidar , Balad Dhanak s/o Sankar Dhanak refused to show me the register to check my Date of Birth.Then he joined the gange of Sukargar and Munigar the beggers to rape the women of subvillages of Kirmara along with Bhala Kanna .At present this gange has taken vast shape and opened the offices at different places in India. I my self has kept my date of birth 19 may 1965 uncertified so that I can catch the culprits and can be awarded punishment from Barhma's office ...

What do you mean by?

 Does you know what these photograph says:-

भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक ने 200 ,500 रुपए बंद करो।

 भारतीय रिजर्व बैंक व भारत सरकार ने 200और 500 रुपयों के नोटों को प्रचलन से व सरकारी करंसी से पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए। ये नोट केवल लोगों की समस्याओं को बढ़ावा देने के सिवाय कुछ भी कार्य के नहीं हैं। हर रोज़ खुले रुपए देने के लिए हर लेने दें की जगह पर झगड़े फसाद होते हैं। आम नागरिक तो रुपए ना घर पर छापता है न बैंक खोले बैठे हैं कि कहीं भी पांच दस बीस रुपए हर किसी को हर जगह दे सके। सरकार ने व बैंकों ने हर जगह पांच सौ कै नोट को ही जारी कर रखा है। छोटे नोट केवल माला बनाने वालों की झुके सिवाय कहीं नहीं मिलते हैं। यह सिस्टम केवल लुटेरों के लिए बना रखा है। यदि लूट खसोट करनी हो तो कम बोझ व जगह के कारण सरकार ने लुटेरों के लिए उत्तम व सर्वश्रेष्ठ नियम बना रखा है। इन्टरनेट बैंकिंग क्षेत्र के कारण बड़े नोटों की जरूरत पूरी तरह समाप्त हो चुकी है केवल वोट खरीदने रिश्वत लेने के लिए ही बड़े नोटों का प्रयोग शत-प्रतिशत बचाकर रखा है। और कोई सार्थक कारण किसी भी सृष्टि में नजर नहीं आता है। सरकार से सार्थक निवेदन है कि अपनी जेब भरने की बजाय, जनता को सुलियत देनी सिखनी चाहिए व आनी चाहिए। सरकार ने ...