भारत सरकार यदि एक देश एक चुनाव के इतिहास को पुनः स्थापित करना चाहती हैं तो अवश्य करना चाहिए। इससे देश के धन का ९०% दुरपयोग समाप्त हो जायेगा। भारत के बजट का अधिकांश भाग हर रोज होने वाले चुनावों पर खर्च हो जाता है। हर रोज चुनाव होने से नेताओं में डकैती की भावनाएं पैदा होती है। क्योंकि चुनाव में होने वाला खर्च चाहिए फिर उसकी भरपाई करनी होगी।
इस कारण आज तक सभी नेता केवल चुनाव पर खर्च व उस पर होने वाले नुक़सान की भरपाई की राजनीति करते आ रहे हैं। बाकि उनके चोर उचक्के कार्य कर्ता की पुलिस से रिहाई की राजनीति में पांच वर्ष व्यतीत कर लेते हैं।
यदि देश में एक बार ही विधानसभा व संसद के चुनाव करवाए जाए तो देश के बजट का ७०% हिस्सा जो बचेगा वह देश के ईमानदार नेता हुए तो देश के विकास में खर्च कर सकते हैं।
देश का नाम राजा भरत के नाम पर रखा गया है तो महाराजा दशरथ के चारों पुत्रों के कारण चुनाव चार वर्ष में एक बार ही करवाया जाए। पांच वर्ष में चुनाव पांच पाण्डव के कारण होता है जबकि देश का प्रतीक महाराजा दशरथ राज सत्ता का है।
लोकसभा व लोकतंत्रिय प्रणाली केवल देवताओं की होती है।उसका राजा देवराज इन्द्र है अतः भारत में भी उसी तरह एक का राज होना चाहिए। अन्यथा लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
सरकार को इस तरफ अवश्य ध्यान देना चाहिए। अन्यथा इसके दुश्परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। भारत का राष्ट्रपति इन्द्र या प्रधानमंत्री, जैसे कांग्रेस में इंन्द्रा गांधी प्रधानमंत्री थीं। ताकि देश को सुदृढ़ बनाया जा सके।
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